मुक्तक
ख़तरा है खूँखारों को चोरों को मक्कारों को,
ख़तरा है दरबारों को शाहों के ग़मख़ारों को,
हिन्दुस्तान को नहीं है खतरा जनता जान गई
खतरा है गद्दारों को मगरिब के बाज़ारों को,
ख़तरा है खूँखारों को चोरों को मक्कारों को,
ख़तरा है दरबारों को शाहों के ग़मख़ारों को,
हिन्दुस्तान को नहीं है खतरा जनता जान गई
खतरा है गद्दारों को मगरिब के बाज़ारों को,