मुक्तक
ख्वाबों को मेरे नए खरीदार मिले हैं,
फूलों की तमन्ना थी मगर ख़ार मिले हैं,
आदमी बिकते हैं जहाँ कौड़ियों के भाव
दुनिया में कुछ ऐसे भी बाज़ार मिले हैं..
ख्वाबों को मेरे नए खरीदार मिले हैं,
फूलों की तमन्ना थी मगर ख़ार मिले हैं,
आदमी बिकते हैं जहाँ कौड़ियों के भाव
दुनिया में कुछ ऐसे भी बाज़ार मिले हैं..