मुक्तक
तुम मुझको ग़म देकर भी ज़ीने नहीं देते।
तुम ज़ख़्म-ए-जिग़र को भी सीने नहीं देते।
मैं ढूँढ़ता हूँ सब्र को पैमानों में मग़र-
तुम ज़ाम को भी चैन से पीने नहीं देते।
मुक्तककार- #मिथिलेश_राय
तुम मुझको ग़म देकर भी ज़ीने नहीं देते।
तुम ज़ख़्म-ए-जिग़र को भी सीने नहीं देते।
मैं ढूँढ़ता हूँ सब्र को पैमानों में मग़र-
तुम ज़ाम को भी चैन से पीने नहीं देते।
मुक्तककार- #मिथिलेश_राय