Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
13 Jul 2019 · 1 min read

मुक्तक

यकीनन ज़ख्म हमको सब पुराने याद रहते हैं,
बुरे वक्त और अपनों के ताने याद रहते हैं,
कोई भी पल मुहब्बत का भले ही याद न रहता
करिश्मा है कि नफ़रत के ज़माने याद रहते हैं,

Language: Hindi
374 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
खो गया सपने में कोई,
खो गया सपने में कोई,
Mohan Pandey
एक सच ......
एक सच ......
sushil sarna
हिंदुस्तानी है हम सारे
हिंदुस्तानी है हम सारे
Manjhii Masti
"सवाल"
Dr. Kishan tandon kranti
वेदना ऐसी मिल गई कि मन प्रदेश में हाहाकार मच गया,
वेदना ऐसी मिल गई कि मन प्रदेश में हाहाकार मच गया,
Sukoon
अपना ख्याल रखियें
अपना ख्याल रखियें
Dr Shweta sood
सत्य की खोज
सत्य की खोज
Akshay patel
साँप ...अब माफिक -ए -गिरगिट  हो गया है
साँप ...अब माफिक -ए -गिरगिट हो गया है
सिद्धार्थ गोरखपुरी
शब्द भावों को सहेजें शारदे माँ ज्ञान दो।
शब्द भावों को सहेजें शारदे माँ ज्ञान दो।
Neelam Sharma
“तुम हो तो सब कुछ है”
“तुम हो तो सब कुछ है”
DrLakshman Jha Parimal
🥀 *गुरु चरणों की धूल*🥀
🥀 *गुरु चरणों की धूल*🥀
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
अच्छाई बनाम बुराई :- [ अच्छाई का फल ]
अच्छाई बनाम बुराई :- [ अच्छाई का फल ]
Surya Barman
ग़ज़ल
ग़ज़ल
प्रीतम श्रावस्तवी
पल
पल
Sangeeta Beniwal
प्रदर्शनकारी पराए हों तो लाठियों की। सर्दी में गर्मी का अहसा
प्रदर्शनकारी पराए हों तो लाठियों की। सर्दी में गर्मी का अहसा
*Author प्रणय प्रभात*
वो खूबसूरत है
वो खूबसूरत है
रोहताश वर्मा 'मुसाफिर'
रिश्ता कमज़ोर
रिश्ता कमज़ोर
Dr fauzia Naseem shad
2264.
2264.
Dr.Khedu Bharti
मनोरम तेरा रूप एवं अन्य मुक्तक
मनोरम तेरा रूप एवं अन्य मुक्तक
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
"गुमनाम जिन्दगी ”
Pushpraj Anant
आखिरी अल्फाजों में कहा था उसने बहुत मिलेंगें तेरे जैसे
आखिरी अल्फाजों में कहा था उसने बहुत मिलेंगें तेरे जैसे
शिव प्रताप लोधी
नारी का अस्तित्व
नारी का अस्तित्व
रेखा कापसे
अवसर
अवसर
DR ARUN KUMAR SHASTRI
होटल में......
होटल में......
A🇨🇭maanush
सपने..............
सपने..............
पूर्वार्थ
*हमारे घर आईं देवी (हिंदी गजल/ गीतिका)*
*हमारे घर आईं देवी (हिंदी गजल/ गीतिका)*
Ravi Prakash
आगोश में रह कर भी पराया रहा
आगोश में रह कर भी पराया रहा
हरवंश हृदय
वापस आना वीर
वापस आना वीर
लक्ष्मी सिंह
बनें सब आत्मनिर्भर तो, नहीं कोई कमी होगी।
बनें सब आत्मनिर्भर तो, नहीं कोई कमी होगी।
डॉ.सीमा अग्रवाल
तुम तो मुठ्ठी भर हो, तुम्हारा क्या, हम 140 करोड़ भारतीयों का भाग्य उलझ जाएगा
तुम तो मुठ्ठी भर हो, तुम्हारा क्या, हम 140 करोड़ भारतीयों का भाग्य उलझ जाएगा
Anand Kumar
Loading...