मुक्तक
परिंदों को कभी अपने परों से डर नहीं लगता,
मुझको भी बदलते मौसमों से डर नहीं लगता,
मुझको चाहिये वो आँख अपने हर रफ़ीक़ों में..
जिनको साफ़-सच्चे आइनों से डर नहीं लगता
परिंदों को कभी अपने परों से डर नहीं लगता,
मुझको भी बदलते मौसमों से डर नहीं लगता,
मुझको चाहिये वो आँख अपने हर रफ़ीक़ों में..
जिनको साफ़-सच्चे आइनों से डर नहीं लगता