मुक्तक
जरूरत हो तो मेरी लेखनी अंगार लिखती है,
निर्भीकता से यह गद्दार को गद्दार लिखती है
ये मेरी लेखनी ही है मैं जिसके साथ जीती हुँ,
यही तो है जो मेरे मन के सब उद्गार लिखती है
जरूरत हो तो मेरी लेखनी अंगार लिखती है,
निर्भीकता से यह गद्दार को गद्दार लिखती है
ये मेरी लेखनी ही है मैं जिसके साथ जीती हुँ,
यही तो है जो मेरे मन के सब उद्गार लिखती है