मुक्तक
हर शख़्स की क़हानी को नाम नहीं मिलता।
हर क़ोशिश को क़ोई अंज़ाम नहीं मिलता।
ठहरी हुई यादों में ज़ी लेते हैं मग़र-
मंज़िल को पाने का पैग़ाम नहीं मिलता।
मुक्तककार- #मिथिलेश_राय
हर शख़्स की क़हानी को नाम नहीं मिलता।
हर क़ोशिश को क़ोई अंज़ाम नहीं मिलता।
ठहरी हुई यादों में ज़ी लेते हैं मग़र-
मंज़िल को पाने का पैग़ाम नहीं मिलता।
मुक्तककार- #मिथिलेश_राय