मुक्तक !
होठों पे मुस्कान आंखो में उम्मीद को जिन्दा रखना मुग्द्धा
एक हांथ में प्यार दूसरे में इंकलाब रख के चलते रहना मुग्द्धा !
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अपनी और अपनों की दर्द पे चीख हम लेंगे
तुम पीठ और मन को सहलाते रहना पुर्दिल
बुझती उखड़ती मध्यम सांसों को मेरी,
प्यार से नहलाते-सहलाते तुम रहना पुर्दिल !
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11-05-2019
…सिद्धार्थ…