मुक्तक !
तेर-मेरे दिल कि बात, जो आज आग बन आई है
हर एक लब पे गर सुर सा सज जाए तो वही अच्छा।
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भँवर से क्या डरें हम जिंदगी लहरों पे ही गुजरी है
पलट कर देखना क्या, लड़ के बढ़ते रहना ही अच्छा।
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छाले पड़े हो पांव में, या हो जख्मी दिल ज़िगर
गिर कर संभलना फिर चलते रहना ही अच्छा।
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08-05-2019
…सिद्धार्थ …