मुक्तक
सियासी मोहरे में उलझी हर चाल को समझो,
जरूरी है सियासत की बिछाई जाल को समझो,
सभी ने रंगों पर भी धर्म का एक रंग चढाया है,
रंगों के मजहबी दर्द के तुम हाल को समझो
सियासी मोहरे में उलझी हर चाल को समझो,
जरूरी है सियासत की बिछाई जाल को समझो,
सभी ने रंगों पर भी धर्म का एक रंग चढाया है,
रंगों के मजहबी दर्द के तुम हाल को समझो