मुक्तक
सवाल गूँज के चुप हैं जवाब आए नहीं
जो आने वाले थे वो इंक़लाब आए नहीं,
वो एक नींद की जो शर्त थी अधूरी रही
हमारी जागती आँखों में ख़्वाब आए नहीं
सवाल गूँज के चुप हैं जवाब आए नहीं
जो आने वाले थे वो इंक़लाब आए नहीं,
वो एक नींद की जो शर्त थी अधूरी रही
हमारी जागती आँखों में ख़्वाब आए नहीं