मुक्तक
” कल तक थे पास अपने, अब दूर हो गए हैं,
रिश्तों में प्यार के गुल बेनूर हो गए हैं,
मुंह पर है बात मीठी, छुप-छुप के घात करते,
अपनो का अब तो ऐसे दस्तूर हो गए हैं”
” कल तक थे पास अपने, अब दूर हो गए हैं,
रिश्तों में प्यार के गुल बेनूर हो गए हैं,
मुंह पर है बात मीठी, छुप-छुप के घात करते,
अपनो का अब तो ऐसे दस्तूर हो गए हैं”