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20 Mar 2019 · 1 min read

मुक्तक

“इस समय मैं ज्योति को विस्तार देने में लगी हूँ,
भावों को मैं गीत का आकार देने में लगी हूँ,
यह समय अंधियार के अवसान का है, यह समझकर
जि़ंदगी को मैं नया आधार देने में लगी हूँ “

Language: Hindi
381 Views

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