मुक्तक
“याद मेरी , गुलशनों की , दास्ताँ बन जाएगी,
कोई इक डाली ही, मेरा आशियाँ बन जाएगी,
फ़ूल भी, सपने भी इसमें, आस भी, अहसास भी,
मेरी खुद की जिंदगी, मेरा जहाँ बन जाएगी “
“याद मेरी , गुलशनों की , दास्ताँ बन जाएगी,
कोई इक डाली ही, मेरा आशियाँ बन जाएगी,
फ़ूल भी, सपने भी इसमें, आस भी, अहसास भी,
मेरी खुद की जिंदगी, मेरा जहाँ बन जाएगी “