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20 Mar 2019 · 1 min read

मुक्तक

वो संघर्ष की भट्टी में सौ -सौ बार दहता है
तब कहीं जाकर के वो इन्साँ शेर बनता है,
तू है गीदड़ बात पर तेरी करे विश्वास क्या ?
तू कभी कुछ और फिर कुछ और कहता है

Language: Hindi
291 Views

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