मुक्तक
“खेलता है खेल बेहतर यार वो जज़बात का,
काफिला है साथ उसके झूठ की बारात का,
बात ये मालूम उसको कौन जीता कौन हारा,
फैसला करता जुबानी जंग से शह मात का “
“खेलता है खेल बेहतर यार वो जज़बात का,
काफिला है साथ उसके झूठ की बारात का,
बात ये मालूम उसको कौन जीता कौन हारा,
फैसला करता जुबानी जंग से शह मात का “