मुक्तक
रो-रो पाक अब हिंदुस्तां को याद करता है,
गंध-ऐ-बारूद अब तक वहाँ के हर घास में है,
वो भी मुर्दों में है शामिल सुना आज ये हमने
शहंशाह आतंक का तब्दील अब तो लाश में है”
रो-रो पाक अब हिंदुस्तां को याद करता है,
गंध-ऐ-बारूद अब तक वहाँ के हर घास में है,
वो भी मुर्दों में है शामिल सुना आज ये हमने
शहंशाह आतंक का तब्दील अब तो लाश में है”