मुक्तक
” रिश्ते जुड़ा है मेरा अपनी ज़मीन से,
हम जो कहेंगे बात कहेंगे यक़ीन से,
रक्खा था मैनें जिसको कभी घर में पालकर,
निकला है साँप बन के मेरी आस्तीन से “
” रिश्ते जुड़ा है मेरा अपनी ज़मीन से,
हम जो कहेंगे बात कहेंगे यक़ीन से,
रक्खा था मैनें जिसको कभी घर में पालकर,
निकला है साँप बन के मेरी आस्तीन से “