मुक्तक
कमजोर यूँ ही उम्र भर टेकता रह जाएगा,
व्यूह अभिमन्यु अकेला भेदता रह जाएगा,
क्या लुटती रहेगी बेटियों की असमतें यूं ही सदा
कब तलक इक बाप आखिर देखता रह जाएगा?
कमजोर यूँ ही उम्र भर टेकता रह जाएगा,
व्यूह अभिमन्यु अकेला भेदता रह जाएगा,
क्या लुटती रहेगी बेटियों की असमतें यूं ही सदा
कब तलक इक बाप आखिर देखता रह जाएगा?