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20 Mar 2019 · 1 min read

मुक्तक

बैठे -बैठे सबूत मांगना आसान है, कभी कुछ करके देखो गद्दारों….

” नश्तर हैं ये सिर्फ ज़ुबाँ के वार नही तलवारों के,
हाल कहां मालूम किसी को सैनिक के परिवारों के
रीत यही है हर युग की ही नाम बड़ों का होता है,
जान गवाएँ लड़कर फौजें नाम सियासतदारों के “

Language: Hindi
181 Views
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