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11 Mar 2019 · 1 min read

मुक्तक

” जुगनू हवा में लेके उजाले निकल पड़े
यूँ तीरगी से लड़ने जियाले निकल पड़े
सच बोलना महाल था इतना कि एक दिन
सूरज की भी ज़बान पे छाले निकल पड़े “

Language: Hindi
215 Views
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