मुक्तक
मेरे दिल को सुकून क्यों नहीं
कुछ टुटा है क्या ?
मेरे दिल के पिंजर में
दो नाम
चीख़ कि तरह आया है
चित्रकूट की गलियों से !
।।सिद्धार्थ।।
मेरे दिल को सुकून क्यों नहीं
कुछ टुटा है क्या ?
मेरे दिल के पिंजर में
दो नाम
चीख़ कि तरह आया है
चित्रकूट की गलियों से !
।।सिद्धार्थ।।