मुक्तक
सदायें सुन तो ले मेरी, मैं तुझको याद करता हूँ।
मैं दश्तो-सहरा में गम की, दिन को रात करता हूँ।
जमाना कह ले जो कहना, मुझे उसकी नहीं परवाह
मोहबत में यूँ पागल हूँ खुद ही से बात करता हूँ।
सदायें सुन तो ले मेरी, मैं तुझको याद करता हूँ।
मैं दश्तो-सहरा में गम की, दिन को रात करता हूँ।
जमाना कह ले जो कहना, मुझे उसकी नहीं परवाह
मोहबत में यूँ पागल हूँ खुद ही से बात करता हूँ।