मुक्तक
अंधेरा हो भले कितना , न हिम्मत हार जाना तुम ।
उदासी हो भले कितनी , न हँसना भूल जाना तुम ।
सफर में जीत के अक्सर, बिछे काँटो के जंगल है ।
बुलन्दी गर मिले तुमको, अदब ना भूल जाना तुम ।
अंधेरा हो भले कितना , न हिम्मत हार जाना तुम ।
उदासी हो भले कितनी , न हँसना भूल जाना तुम ।
सफर में जीत के अक्सर, बिछे काँटो के जंगल है ।
बुलन्दी गर मिले तुमको, अदब ना भूल जाना तुम ।