मुक्तक
मुक्तक
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पावनी ‘गंगा’ सी पवित्र, ‘हिंदी’ हमारी।
इसकी बोली है , जग में सबसे प्यारी।
देवनागरी लिपि से,सदा ये सुसज्जित;
इसे अपनाएगी एकदिन,दुनिया सारी।
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स्वरचित सह मौलिक;
….✍️ पंकज कर्ण
….कटिहार(बिहार)
१४ सितंबर २०२२