मुक्तक (विधाता छन्द)
विनत होकर सहारा दे , वही इंसान होता है |
रसीला वृक्ष फल देता, उसी का मान होता है ||
अकड़ में जो सदा रहता, जगह दिल में नहीं पाता |
अकेला ठूँठ जंगल में पड़ा, वीरान होता है || (१)
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किसी शुभ कार्य की पुरजोर, तैयारी करो पहले |
मृदुल व्यवहार के बल पर, सदाचारी करो पहले ||
निखरता है तभी जीवन तुम्हें,शुभकीर्ति मिलती है||
सफल इंसान से संवाद कर, यारी करो पहले || (२)
जगदीश शर्मा सहज