मुक्तक “वतन”
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मेरा दिल जिग़र जां वतन के लिए है
मेरी जिन्दगानी अमन के लिए है
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नहीं छीन सकता है ये दुश्मन जमाना
तिरंगा तो मेरी क़फ़न के लिए है
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प्रीतम राठौर भिनगई
श्रावस्ती (उ०प्र०)