“मुक्तक” : ( यूॅं किसी की भावनाएं…. )
“मुक्तक” : ( यूॅं किसी की भावनाएं…. )
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आजकल कोई भी किसी को न पूछ रहे !
बस, सदैव अपनी ही हित उन्हें सूझ रहे !
यूॅं किसी की भावनाएं कुंठित क्यों ना हो…
जब अपने ही अपनों से इतने जूझ रहे !!
स्वरचित एवं मौलिक ।
अजित कुमार “कर्ण” ✍️✍️
किशनगंज ( बिहार )
दिनांक : 23/01/2022.
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