मुक्तक प्रेम
******** मुक्तक(प्रेम) ********
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1
हम जानते यह सब अज्ञानी नहीं हैं
जानबूझ कर किया नादानी नहीं है
टप टप जो बरसे नैनों से इस कदर
आँखों से बहें आँसू पानी नहीं हैं
2
चाह के भी हम ये सोच नहीं सकते
सपने में भी बेवफा हो नहीं सकते
हजारों बार बेशक तुम ज़फ़ा करो
बेहद प्रेम करें दग़ा दे नहीं सकते
3
फूलों और कलियों का ये कहना है
हर पल तेरे ही साथ साथ रहना है
अगर मौत से कहीं सामना हो गया
तेरे ही साथ जीना और मरना है
4
तुम से अंजुमन चार चाँद है होती
तुम से मेरी शाम गुलजार है होती
जीवन में यूँ सदा तुम महकते रहो
सुखविंद्र से जिंदगी रोशन है होती
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)