“मुक्तक” ( नेता के बोल )
“मुक्तक” ( नेता के बोल )
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नेता के बोल की उतनी कीमत न होती ,
देश की जनता की शोषण ना हुई होती।
गली – मोहल्ले में सब नेता बन बैठे हैं ,
मासूम जनता की किस्मत बदल गई होती।
_ स्वरचित एवं मौलिक ।
© अजित कुमार कर्ण ।
__ किशनगंज ( बिहार )
दिनांक : 10-06-2021.
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