मुक्तक द्वय -1.धरती 2.आकाश
मुक्तक
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1.धरती.
आज आहत है हमारी मातु धरती.
जार – जार रोती है औ आह भरती.
जिन्दगी धिक्कार ही है बेटों की’,
माँ अगर हर पल हमारी है बिलखती.
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2.आकाश .
लिख दें सही बयान,सड़े इतिहास बदल दें.
अर्थहीन दकियानूसी विश्वाश बदल दें.
आंधी का गुस्सा छप्पर के , क्यों हिस्से में,
उट्ठा है तूफ़ान धरा – आकाश बदल दें.
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@डॉ.रघुनाथ मिश्र ‘सहज’
अधिवक्ता/साहित्यकार
सर्वाधिकार सुरक्षित.