मुक्तक-दोहा
मुक्तक-दोहा
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मुक्तक हो या छंद हो, पढ़ कर लें आनंद।
रचनाएं ऐसी करें, जिनमें रसधार अमंद ।
जांचे मात्रा भार को, तुला तौल की भाँति-
खिलती रचना है तभी,बनकर सुरभित छंद।
__________________________राहुल प्रताप सिंह
मुक्तक-दोहा
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मुक्तक हो या छंद हो, पढ़ कर लें आनंद।
रचनाएं ऐसी करें, जिनमें रसधार अमंद ।
जांचे मात्रा भार को, तुला तौल की भाँति-
खिलती रचना है तभी,बनकर सुरभित छंद।
__________________________राहुल प्रताप सिंह