“मुक्तक”– ज़िंदगी का ये सफ़र….
“मुक्तक”– ज़िंदगी का ये सफ़र….
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ज़िंदगी का ये सफ़र तो है बड़ा ही सुहाना ।
हर पल जिसमें बनता आया हो इक फ़साना।
देखें , आगे ये ले जाती है किस मोड़ तक ,
जहाॅं पे झूम उठेगा , कोई भी परवाना ।।
_ स्वरचित एवं मौलिक ।
© अजित कुमार कर्ण ।
__ किशनगंज ( बिहार )
दिनांक : १४/०६/२०२१.
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