मुक्तक -आधुनिकता , परंपरा, सबके सपने, अपने अपने!
मुक्तक —— (१)
सम्मान बहन बेटी का बच पाएं, मात-पिता भी ना छूटे।
भाव सभी का एक सा हो फिर, कोई किसी से ना रूठे।
लाओ शिक्षा नीति ऐसी ,घर-घर में जो अमन करें,
आधुनिकता साथ चले और परंपरा भी ना छूटे।।
मुक्तक ——– (२)
रंग सभी के अपने अपने,
होते हैं कुछ सबके सपने।
किसी को मंजिल मिल जाती ,
उमरिया किसी की सारी खप जाती।
सपने तो आखिर है अपने।।
राजेश व्यास अनुनय