मुक्तक।
मुक्तक।
******
गुलो गुलजार होने को कई लोगों की चाहत है।
कहा हर शख्स ने मुझसे वो अपनों से ही आहत हैं।।
भरोसा हो नहीं सकता जो अपनों पर कभी यारों।
सुधर जाओ अभी भी वक्त है यह ही शराफत है।।
पंकज शर्मा “तरुण “.
मुक्तक।
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गुलो गुलजार होने को कई लोगों की चाहत है।
कहा हर शख्स ने मुझसे वो अपनों से ही आहत हैं।।
भरोसा हो नहीं सकता जो अपनों पर कभी यारों।
सुधर जाओ अभी भी वक्त है यह ही शराफत है।।
पंकज शर्मा “तरुण “.