“मुक्तक”(वो क्या चाहता)***
“मुक्तक”(वो क्या चाहता)
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जो ऐसा कर रहा है , आखिर वो क्या चाहता ।
मुक्त रूप से लिखे सब, किसी का क्या जाता।
मगर सबके आस को और प्रयास को गिरा रहा,
ऐसा करना, क्या? किसी नव- कवि को भाता।
स्वरचित सह मौलिक
……✍️ पंकज “कर्ण”
……………कटिहार।।