*मुक्तक* इंसान नहीं वह दरिंदा है
इंसान नहीं वह दरिंदा है ,
कर्म पर अपने नहीं शर्मिंदा है !
जीने का हक नहीं उसको ,
पर अफ़सोस वह जिन्दा है !!
कैसे माफ़ करेगी हमें वो भारत की बेटी ?
आजाद घूमता जिसका कातिल दरिंदा है !
दिला ना सके इंसाफ तुझे ऐ भारत की बेटी ,
इस बात के लिए हम बहुत शर्मिंदा हैं ? !!