Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
9 Sep 2024 · 1 min read

मुकाम जब मिल जाए, मुकद्दर भी झुक जाता है,

मुकाम जब मिल जाए, मुकद्दर भी झुक जाता है,
जो मुश्किलें थीं कल तक, वो रस्ता खुद दिखाता है।।
जो ख्वाब अधूरे थे, वो पूरे होने लगते हैं,
वो जिनसे गिला था कल, वही हाथ बढ़ाता है।।
शोहरत की चमक में, हर चेहरा मुस्कुराता है,
जहाँ कभी सन्नाटा था, अब महफ़िल सजाता है।।
जो थे कभी बेगाने, अब अपने से लगते हैं,
वो दुनिया जो दूर थी, पास आके अपनाता है।।
सफर था जो तन्हा कल, अब कारवां सा बनता है,
मुकाम जब मिलता है, मुकद्दर भी झुक जाता है।।

14 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
जागता हूँ क्यों ऐसे मैं रातभर
जागता हूँ क्यों ऐसे मैं रातभर
gurudeenverma198
एकतरफा प्यार
एकतरफा प्यार
Shekhar Chandra Mitra
ना जाने क्यों तुम,
ना जाने क्यों तुम,
Dr. Man Mohan Krishna
Blabbering a few words like
Blabbering a few words like " live as you want", "pursue you
Chaahat
जिंदगी माना कि तू बड़ी खूबसूरत है ,
जिंदगी माना कि तू बड़ी खूबसूरत है ,
Manju sagar
लघुकथा -
लघुकथा - "कनेर के फूल"
Dr Tabassum Jahan
it is not about having a bunch of friends
it is not about having a bunch of friends
पूर्वार्थ
रोशनी का पेड़
रोशनी का पेड़
Kshma Urmila
उतर गए निगाह से वे लोग भी पुराने
उतर गए निगाह से वे लोग भी पुराने
सिद्धार्थ गोरखपुरी
** चिट्ठी आज न लिखता कोई **
** चिट्ठी आज न लिखता कोई **
surenderpal vaidya
दिल में
दिल में
Dr fauzia Naseem shad
बेटा
बेटा
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
है बात मेरे दिल की दिल तुम पे ही आया है।
है बात मेरे दिल की दिल तुम पे ही आया है।
सत्य कुमार प्रेमी
नई खिड़की
नई खिड़की
Saraswati Bajpai
जी करता है
जी करता है
DR ARUN KUMAR SHASTRI
पुस्तक समीक्षा -रंगों की खुशबू डॉ.बनवारी लाल अग्रवाल
पुस्तक समीक्षा -रंगों की खुशबू डॉ.बनवारी लाल अग्रवाल
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
मफ़उलु फ़ाइलातुन मफ़उलु फ़ाइलातुन 221 2122 221 2122
मफ़उलु फ़ाइलातुन मफ़उलु फ़ाइलातुन 221 2122 221 2122
Neelam Sharma
किसी को घर, तो किसी को रंग महलों में बुलाती है,
किसी को घर, तो किसी को रंग महलों में बुलाती है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
मजदूर
मजदूर
Preeti Sharma Aseem
मे गांव का लड़का हु इसलिए
मे गांव का लड़का हु इसलिए
Ranjeet kumar patre
☺️☺️
☺️☺️
*प्रणय प्रभात*
मैंने देखा है मेरी मां को रात भर रोते ।
मैंने देखा है मेरी मां को रात भर रोते ।
Phool gufran
॥ संकटमोचन हनुमानाष्टक ॥
॥ संकटमोचन हनुमानाष्टक ॥
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
*जानो आँखों से जरा ,किसका मुखड़ा कौन (कुंडलिया)*
*जानो आँखों से जरा ,किसका मुखड़ा कौन (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
Who Said It Was Simple?
Who Said It Was Simple?
R. H. SRIDEVI
"कारवाँ"
Dr. Kishan tandon kranti
प्यार दर्पण के जैसे सजाना सनम,
प्यार दर्पण के जैसे सजाना सनम,
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
3025.*पूर्णिका*
3025.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
तड़फ रहा दिल हिज्र में तेरे
तड़फ रहा दिल हिज्र में तेरे
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
8. *माँ*
8. *माँ*
Dr .Shweta sood 'Madhu'
Loading...