मुकाम जब मिल जाए, मुकद्दर भी झुक जाता है,
मुकाम जब मिल जाए, मुकद्दर भी झुक जाता है,
जो मुश्किलें थीं कल तक, वो रस्ता खुद दिखाता है।।
जो ख्वाब अधूरे थे, वो पूरे होने लगते हैं,
वो जिनसे गिला था कल, वही हाथ बढ़ाता है।।
शोहरत की चमक में, हर चेहरा मुस्कुराता है,
जहाँ कभी सन्नाटा था, अब महफ़िल सजाता है।।
जो थे कभी बेगाने, अब अपने से लगते हैं,
वो दुनिया जो दूर थी, पास आके अपनाता है।।
सफर था जो तन्हा कल, अब कारवां सा बनता है,
मुकाम जब मिलता है, मुकद्दर भी झुक जाता है।।