मुकरियां_ गिलहरी
रोज सवेरे छत पर दिखती
वो भी मेरा इंतजार है करती
बस मुझको ही दिखती
इधर फुदकती
उधर फुदकती
कंधे पर सर वो धरती
कौन है वो
महबूबा परी?
नहीं मित्र! वो तो है
गिलहरी!
रोज सवेरे छत पर दिखती
वो भी मेरा इंतजार है करती
बस मुझको ही दिखती
इधर फुदकती
उधर फुदकती
कंधे पर सर वो धरती
कौन है वो
महबूबा परी?
नहीं मित्र! वो तो है
गिलहरी!