मुंँहवे झुराइल बा
घनाक्षरी
रहिया में जगे- जगे, पेवना सटात बाटे,
भाई हो लागत बाटे, वोट नियराइल बा।
दुख बाँटे वाला हाथऽ, छोडते हवे न साथऽ,
नेता सब गोड़वे में, देखीं लेपटाइल बा।
पांच साल जेकरा ना, कवनो फिकिर रहे,
हाथ दूदू जोडले ऊ, दुअरा प आइल बा।
जातिए धरम पर, रोटी जे पकवले हऽ,
आहि दादा उनुकर, मुहँवे झुराइल बा।
(स्वरचित मौलिक)
#सन्तोष_कुमार_विश्वकर्मा_सूर्य
तुर्कपट्टी, देवरिया, (उ.प्र.)
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