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17 Sep 2021 · 1 min read

मुंँहवे झुराइल बा

घनाक्षरी

रहिया में जगे- जगे, पेवना सटात बाटे,
भाई हो लागत बाटे, वोट नियराइल बा।

दुख बाँटे वाला हाथऽ, छोडते हवे न साथऽ,
नेता सब गोड़वे में, देखीं लेपटाइल बा।

पांच साल जेकरा ना, कवनो फिकिर रहे,
हाथ दूदू जोडले ऊ, दुअरा प आइल बा।

जातिए धरम पर, रोटी जे पकवले हऽ,
आहि दादा उनुकर, मुहँवे झुराइल बा।

(स्वरचित मौलिक)
#सन्तोष_कुमार_विश्वकर्मा_सूर्य
तुर्कपट्टी, देवरिया, (उ.प्र.)
☎️7379598464

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