=== *मीडिया का सच*===
=== मीडिया का सच===
मीडिया हो गद्दार ,तो बोलो क्या करें ?
बिकनें लगे अखबार , तो फिर क्या करें ??
जनता देखे रोज, तमाशा झूंठ का।
और करें प्रचार ,वही तो क्या करें ??
राजा जी को झूंठ, बडा पसंद है ।
कथनी- करनी हो अलग, तो क्या करें ??
जब जो चाहे, बेच दे सब शौक से ।
बिकनें वाले भी , हंसे तो क्या करें ??
जातिवादी युद्ध , कराये मीडिया।
लड़ने को तैयार, खड़े सब क्या करें ??
अफवाहों की मंडी, बन गई मीडिया।
भेड़ियों को बताए संत,बताओ क्या करें ??
एक पलडे को , भारी करनें के खातिर।
सबको करे बदनाम, तो बोलो क्या करें ??
एक पक्ष की बात, हमेशा ये करती ।
बोले ना निष्पक्ष , बताओ क्या करें ??
रोटी चुराने वाले को, मुजरिम कहते।
देश लूटेरा बाप , बताएं क्या करें ??
टूटी छत के नीचे ,पढ़ें जो खिचड़ी पर।
आरक्षण बदनाम , बताओ क्या करें ??
बेटी- बेटी में फर्क , हमेशा ये करती ।
बढाये ये जातिवाद, बताओं क्या करें ??
रोज टूटे जुल्म ,बहुजन लोगों पर।
खामोशी छा जाये , बताओ क्या करे ??
एक मैडल जो लाए ,दिखाएं घड़ी- घड़ी।
छ:-छ: गोल्ड छुपाएं, बताओ क्या करे ??
संविधान की रोज, उड़ाते हैं खिल्ली।
मनुस्मृति छा जाए, बताओं क्या करें ??
जनता की आवाज ,दबानें में माहिर।
मन की कराये बात, बताओ क्या करे ??
आत्महत्या को कत्ल, ये बतलातें हैं ।
कत्ल ये रोज छिपाएं ,बताओं क्या करें ??
कलम बेचना ,घर सुधार का कारण है।
अफवाह रोज उडायें, बताओं क्या करें ??
देश में नफ़रत की ,ये आग लगातें हैं ।
बार -बार दोहराएं ,बताओं क्या करें ??
नेताओं को भी , मात अब देते हैं ।
गिरगिट के बने बाप ,बताओ क्या करे ??
सड़कों पर जब तक ना, जनता आयेगी।
करें ये रोज बवाल , बताओ क्या करे ??
सच को झूठ- झूठ को, सच बतलातें हैं।
करते रोज धमाल, बताओ क्या करे ??
चौथा स्तंभ अब , दलाली में डूबा।
करें ना सच्ची बात, बताओ क्या करे ??
सत्ता की , चाटुकारिता करतें हैं।
जनता है परेशान, बताओ क्या करे ??
जब तक ना बदलेगा ,यहां माहौल ये।
तब तक उठे बवाल, बताओ क्या करे ??
टी.वी. पर तो रोज, झूठ ही बिकता है।
मुस्काती सरकार , बताओ क्या करें ??
सड़कों पर आना तो, लाज़िम है “सागर”।
तभी बने कुछ बात, बताओ क्या करे ??
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डॉ. नरेश कुमार “सागर”
रात्रि…1.30,==27/04/2020