मिष्ठी रानी गई बाजार
कविता _
मिष्ठी रानी गई बाजार
वहां से मम्मा लाई सब्जी चार
मिष्ठी चाहे पिज्जा और बर्गर
उसको भाए पूरी अचार
सब्जियों का दोस्त है आलू,
नहीं बने संग जिमीकन्द, रतालू
थोड़ा कटु कड़वा है करेला
इसीलिए रह गया अकेला
भिन्डी है सब्जी की रानी
बनाए इसको मिष्ठी की नानी
बड़े स्वाद से मिष्ठी खाती
फिर बच्चों को खूब बताती
चौकीदार टमाटर बोला
मैं भी सेहत का रखवाला
ब्लैक ब्यूटी है बैंगन राजा
भर्ते में भी स्वाद ना आता
गोल मटोल है बड़ा सा कद्दू
छोटा टिंडा लगता है पिद्दू
क्या बनाऊं, मम्मा परेशान
खींच रही मिष्ठी के कान
__ मनु वाशिष्ठ
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