मिल जाता
यू ही गर मिल जाता सब कुछ ही तो
कोई खुदा को खुदा कहता नही है
पंछी की गर बिती उम्र पिंजरे मे
खुला छोडो जिंदा वो रहता नही है
मुहोबत गर की है तो मालूम होगा
बडा कुछ रोग इश्क से होता नही है
सुबह ही आज मिले थे वो हमको
किया जादू कैसा कोई समझा नही है