मिला झूठ को मान
नमन सृजन समीक्षा मंच?
दिन-शुक्रवार
दिनांक-12.11.2021
विषय-मिला झूठ को मान
झूठों का है दबदबा,झूठी सारी शान।
झूठों के दरबार में, मिला झूठ को मान।।
पट्टी बाँधी न्याय ने, मिला झूठ को मान।
सत्य प्रताड़ित हो गया,बिका धर्म, ईमान।।
सत्य घिरा तम घेर में, धूमिल अब पहचान।
उजियारा दम तोड़ता, मिला झूठ को मान।।
साधु वेश धर घूमते, ढ़ोंगी बाँटें ज्ञान।
सच्चाई की आड़ में, मिला झूठ को मान।।
सत्य, अहिंसा मौन हैं, उर है लहूलुहान।
कौरव के दरबार में, मिला झूठ को मान।।
दानव चलते शान से, सच झेले अपमान।
इसीलिए संसार में,मिला झूठ को मान।।
सत्य, सरलता, सादगी, लाचारी के नाम।
मक्कारी बढ़ने लगी, मिला झूठ को मान।।
कलयुग गुण्डाराज लख, हुआ सत्य हैरान।
दबंगई के सामने, मिला झूठ को मान।