मिला क्या है
गीतिका
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बढ़ाकर दूरियां तुमको मिला क्या है।
बताते क्यों नहीं हमसे गिला क्या है।
बहुत ही खूबसूरत मुस्कुराहट है।
बताओ फूल मनभावन खिला क्या है।
सभी है वाह करते देखते हैं जब।
भवन सुन्दर बना बहुमंजिला क्या है।
नहीं आंखें मिलाते देखते हैं जब।
बहुत जल्दी भरोसा भी हिला क्या है।
किसी परिणाम पर ही जो नहीं पँहुचा।
समझ आता नहीं ये सिलसिला क्या है।
न भूले से कभी भी साथ होना मत।
बिना कारण बिखरता काफिला क्या है।
बहुत मजबूत हो आधार पत्थर भी।
कभी भी रेत से बनता किला क्या है।
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-सुरेन्द्रपाल वैद्य