*मिला कहीं से एक पटाखा (बाल कविता)*
मिला कहीं से एक पटाखा (बाल कविता)
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मिला कहीं से एक पटाखा
नन्ही चुहिया लाई
सोच रही थी कैसे छोडूॅं
जुगत नहीं लग पाई
तभी दूर से देखी उसने
बिल्ली मौसी आते
देख चुकी थी उस बिल्ली को
चूहे दस-दस खाते ।
वहीं पटाखा उसने
बिल्ली के मुँह पर दे मारा
बिल्ली बोली
‘चूहे खाने न आऊॅं दोबारा’ ।
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रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451