” मिलन की चाह “
डॉ लक्ष्मण झा परिमल
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तुम्हारी याद आती है
कहूँ तो मैं कहूँ किसको
हृदय की वेदना को मैं
कहूँ तो मैं कहूँ किसको
निहारूँ राह मैं तेरी
रो रो दिन गुजरते हैं
कहूँ क्या हाल है मेरा
क्षितिज के तारे गिनते हैं
मेरी आँखें तरसती है
कहूँ तो मैं कहूँ किसको
हृदय की वेदना को मैं
कहूँ तो मैं कहूँ किसको
नयन से नीर बहते हैं
जुदाई सह नहीं सकती
जिगर में तीर लगते हैं
व्यथा को सह नहीं सकती
विरह की आग लगती है
कहूँ तो मैं कहूँ किसको
हृदय की वेदना को मैं
कहूँ तो मैं कहूँ किसको
चले आओ जहाँ हो तुम
तुम्हारी याद आती है
दूरियाँ अब नहीं भाये
मेरी आँखियाँ बुलाती है
मिलन की अब घड़ी आई
कहूँ तो मैं कहूँ किसको
हृदय की वेदना को मैं
कहूँ तो मैं कहूँ किसको !!
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डॉ लक्ष्मण झा ” परिमल ”
साउंड हेल्थ क्लिनिक
एस ० पी ० कॉलेज रोड
दुमका
झारखण्ड
24.10.2023