मिलने के नए बहाने (हास्य व्यंग्य)
मिलने वाले भी ढूंढ लेते है मिलने के बहाने।
कभी मिलने आते है,चाय शक्कर के बहाने।
मिलता नही जब कोई उनको नया बहाना,
चले आ जाते है पूछने नए नए वे बहाने।।
चले गए छत पर,पतंग उड़ाने के बहाने।
पड़ोसन आ गई,कपड़े सुखाने के बहाने।
पत्नि ने देखा जब ये नया नजारा छत पर,
पत्नि भी आ गई डंडा लेकर बंदर भगाने।।
पड़ोसन से मिलने चले गए सब्जी देने के बहाने।
पीछे से पत्नि भी आ गई गर्म चाय पीने के बहाने।
दोनो में तू तू मैं मैं होने लगी इसी बात पर,
पड़ोसन का पति आया उनको छुड़ाने के बहाने।।
आर के रस्तोगी गुरुग्राम