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29 Jun 2022 · 1 min read

मिलने के नए बहाने (हास्य व्यंग्य)

मिलने वाले भी ढूंढ लेते है मिलने के बहाने।
कभी मिलने आते है,चाय शक्कर के बहाने।
मिलता नही जब कोई उनको नया बहाना,
चले आ जाते है पूछने नए नए वे बहाने।।

चले गए छत पर,पतंग उड़ाने के बहाने।
पड़ोसन आ गई,कपड़े सुखाने के बहाने।
पत्नि ने देखा जब ये नया नजारा छत पर,
पत्नि भी आ गई डंडा लेकर बंदर भगाने।।

पड़ोसन से मिलने चले गए सब्जी देने के बहाने।
पीछे से पत्नि भी आ गई गर्म चाय पीने के बहाने।
दोनो में तू तू मैं मैं होने लगी इसी बात पर,
पड़ोसन का पति आया उनको छुड़ाने के बहाने।।

आर के रस्तोगी गुरुग्राम

4 Likes · 9 Comments · 432 Views
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