बूढ़ा बरगद
वो बूढ़ा बरगद
खड़ा है दृढ़
वर्षों से
गाँव की चौपाल पर ….
छाँव सबको दे रहा
आस्था का
प्रतीक बनकर …..
न जाने
कितने युग बदले,
दिन,रात
प्रहर बदले ….
श्रद्धा और विश्वास
आज भी
प्राणवान है,
तने पर लिपटे
धागे ,
इसका प्रमाण है ….
स्नेहमयी टहनियां
बाजुओं की तरह
विशाल कर,
वो बूढा बरगद
खडा है दृढ़,
वर्षों से ,
गाँव की चौपाल पर ,,,,
नम्रता सरन “सोना “