मिनख रो नही मोल, लारे दौड़ै गरत्थ रे। मिनख रो नही मोल, लारे दौड़ै गरत्थ रे। करै धूड़ रो तोल, जगत मांयनै जीतिया।। जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया..✍️